हिंदू विधि जिन व्यक्तियों पर लागू होती है उन्हें हम तीन वर्गों में बांट सकते हैं-
1) वे व्यक्ति जो धर्म से हिंदू, जैन, बौद्ध या सिक्ख है।
2) वे व्यक्ति जो हिंदू, जैन, बौद्ध या सिक्ख माता-पिता (या दोनों में से किसी एक) की संतान है।
3) वे व्यक्ति जो मुसलमान, ईसाई, पारसी या यहूदी नहीं है।
इस प्रकार हिंदू शब्द किसी जाति या सम्प्रदाय को प्रकट न करके एक विशेष धर्म का प्रतीक है।
इनमे शामिल है-
i) धर्म से हिन्दू हो।
ii ) बौद्ध, सिख, जैन, ब्रह्मसमाज, आर्यसमाजी और लिंगायत हो।
जो मूल रूप से हिंदू थे।
वर्तमान हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण पोषण अधिनियम, हिंदू अवयस्क संरक्षकता अधिनियम तथा हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत बौद्ध, जैन और सिखों को भी हिन्दू शब्द में शामिल कर दिया गया है और वे अब इन्ही अधिनियमों के कानून से प्रशासित होंगे।
हिंदू जन्म से होता है बनाया नहीं जाता– प्राचीन हिंदू सिद्धांत के अनुसार हिंदू जन्म से होता है, बनाया नहीं जाता। वास्तव में यह कथन पूरी तरह सही नहीं है। प्राचीन हिंदू विधि में कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन द्वारा हिंदू नहीं हो सकता था। हिंदू विधि के लागू होने के लिए यह आवश्यक था कि वह व्यक्ति जन्म से हिंदू हो और सदैव हिंदू बना रहे। यह प्राचीन मान्यता अब समाप्त हो गई है। आज हिंदू शब्द का अर्थ केवल उन्ही व्यक्तियों से नहीं है जो हिंदू माता-पिता से पैदा होते हैं बल्कि उन व्यक्तियों लोगों से भी है जो बाद में हिंदू धर्म स्वीकार कर लेते हैं।
केस- रानी भगवान कौर बनाम जे सी बोस (1903)- इस वाद में प्रिवी काउंसल ने कहा कि हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों से विमुख होना या हिंदू धर्म की निंदा करने से ही कोई व्यक्ति अहिंदू नहीं हो जाता।
केस- अब्राहम बनाम अब्राहम (1957)- न्यायालय ने कहा कि हिंदू शब्द की परिभाषा देना कठिन है लेकिन इस शब्द से उन व्यक्तियों का बोध होता है जिन पर हिंदू विधि लागू होती है।
केस- मोहम्मद मोरारजी बनाम एडमिनिस्ट्रेटर जनरल आफ मद्रास (1929)- न्यायालय ने निर्णय दिया कि कोई व्यक्ति हिंदू धर्म में परिवर्तित होने पर भी हिंदू बन सकता है।
केस- पेरूमल बनाम पुन्नूस्वामी (1974)- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि यह सिद्ध हो जाए कि किसी व्यक्ति ने हिंदू धर्म स्वेच्छा से अपनाया है और हिंदूओ ने अपना सदस्य स्वीकार कर लिया है तो वह हिंदू कहलाएगा।
केस- मोहनदास बनाम देवासन बोर्ड (1975)– न्यायालय ने कहा कि यदि कोई हिंदू व्यक्ति यह घोषणा करता है कि वह हिंदू हो गया है और बतौर हिंदू के यहां रहता है तो वह हिंदू माना जाएगा।हिंदू विधि स्थानीय विधि नहीं बल्कि एक व्यक्तिगत विधि है- वास्तव में यह कथन पूरी तरह सही है कि हिंदू विधि स्थानीय विधि नहीं बल्कि एक व्यक्तिगत विधि है इसका अर्थ है कि हिंदू विधि किसी निश्चित स्थान या प्रांत में लागू होने वाली विधि नहीं है बल्कि यह एक व्यक्तिगत विधि है। इसका मतलब कि एक हिंदू जहां भी रहेगा वह हिंदू विधि से ही प्रशासित होगा और यदि कोई हिंदू एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है तो वह अपने रीति या प्रथाओं से शासित होगा जहां पर वह मूल रूप से रहता था। उस पर नए स्थान की रीतियां और प्रथाएं लागू नहीं होगी।