अपराध के चरण?

अपराध के चरण (Stages of Crime)

कोई भी अपराध इन चरणों से गुजरता है भले ही वह कुछ क्षण में पूरा हो जाए या उसे पूरा करने में वर्षों लग जाए।

अपराध के चरण ये हैं-

1) आशय (Intention)

2) तैयारी (Preparation)

3) प्रयास (Attempt)

4) कार्य का निष्पादन (Execution of work)

1) आशय (Intention)- आशय अपराध का पहला चरण है। किसी अपराध को करने के लिए सबसे पहले उस व्यक्ति के मन में एक आशय उत्पन्न होता है। आशय अपने आप में कोई अपराध नहीं है बल्कि अपराध होने के बाद यह बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है।

उदाहरण के लिए- एक व्यक्ति क्लब स्टैंड से छाता चुराने के आशय से छाता उठाता है लेकिन जब उसे घर आकर देखता है तो वह छाता उसका अपना ही निकलता है ऐसी अवस्था में उस व्यक्ति पर अपराधिक दायित्व नहीं डाला जा सकता हालांकि उसका इरादा छाता चुराने का ही था। इसका कारण यह है कि वह चोरी करने का केवल एक अपराधी विचार ही था जो कार्य रूप में ना बदलने कारण बाह्य कार्य की श्रेणी में नहीं आता इसलिए आशय जब तक कार्य रूप में बदल नहीं हो जाता तब तक दंडनीय नहीं होता ।

2) तैयारी (Preparation)- अपराध का दूसरा चरण आशय के बाद तैयारी को माना जाता है इसके अंतर्गत अपराध के लिए सामग्री इकट्ठी करना या उपाय करना आता है।

उदाहरण के लिए– किसी व्यक्ति की हत्या करने के लिए रिवाल्वर खरीद कर लाना या विष खरीदकर लाना आदि लेकिन भारतीय दंड संहिता में हर अपराध की तैयारी को दंडनीय नहीं बनाया गया है केवल कुछ अपराधों में ही तैयारी दंडनीय है।

भारतीय न्याय संहिता में तैयारी से संबंधित कुछ धाराएं ये है-

धारा 149– युद्ध करने की तैयारी।

धारा 154- भारत सरकार से संबंध रखने वाले राज्यक्षेत्र में लूटपाट की तैयारी।

धारा 310 (4)- डकैती की तैयारी।

3) प्रयास (Attempt)- यह अपराध का तीसरा चरण है। इसके बाद अपराध पूरा हो जाता है। प्रयास सारे मामलों में दंडनीय है केवल जुमनि से दंडनीय अपराधों को छोड़कर।

भारतीय न्याय संहिता में अपराध के प्रयास से संबंधित धाराएं-
1) हत्या करने का प्रयत्न (धारा 109)

2) अपराधिक मानववध का प्रयत्न (धारा 110)

3) लूट करने का प्रयत्न (धारा 309 (5)

उदाहरण के लिए – A एक फसल के ढेर में आग लगाने के इरादे से खलिहान में रखकर फसल के ढेर के पास बैठ जाता है और एक सिगरेट निकालकर जला देता है और माचिस को बुझा देता है इस मामले में माचिस जलाने का प्रत्यक्ष दृश्य कार्य तैयारी को प्रयास में बदल देता है और A ने फसल के देर में आग लगाने की प्रयास का अपराध किया है।

4) कार्य का निष्पादन (Execution of crime)- यह अपराध का अंतिम चरण है। इसके बाद अपराध पूरा हो जाता है।

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