तथ्यों की सुसंगति (Relevancy of fact),
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 3 के अनुसार किसी भी वाद या मामले या कार्यवाही में विवाद्यक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का ही साक्ष्य दिया जा सकता है।
स्पष्टीकरण – यह धारा किसी व्यक्ति को ऐसे तथ्य का साक्ष्य देने के लिए योग्य नहीं बनाएगी जिससे सिविल प्रक्रिया से संबंधित किसी लागू कानून के किसी उपबन्ध द्वारा साबित करने के हक से वंचित कर दिया गया है।
उदाहरण – B की मृत्यु करने के आशय से उसे लाठी से मारकर उसकी हत्या करने के लिए A का विचारण किया जाता है। A के विचारण में ये तथ्य विवाद्यक हैं-
✓A द्वारा B को लाठी से मारना।
✓A का ऐसी मार द्वारा B की मृत्यु करना।
✓B की मृत्यु करने का A का आशय ।
केस- आर बनाम रिचर्डसन (1786)- इस मामले मे लड़की के माता-पिता खेत में गए हुए थे। जब वे लौटे तो उन्होंने देखा कि लड़की की लाश गला काटकर पडी हुई थी। जिसमें पुलिस ने इन बातों का साक्ष्य इकट्ठा किया, क्योंकि कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं था।
✓अभियुक्त हत्या करने के बाद नीचे कूदा तो उसका पैर दलदल में फँस गया उसके जूतो में कील का निशान था उन चिन्हों को पुलिस ने ले लिया।
✓अभियुक्त बाएँ हाथ का था।
✓लड़की गर्भवती थी।
✓पुलिस ने रिचर्डसन को पकड़ लिया उसके जैसा जूता बरामद किया तथा उसके मोजो में मिट्टी लगी हुई थी जो उसी दलदल की थी।
✓अभियुक्त रिचर्डसन लोहे के कारखाने में काम करता था वह उसी समय जब हत्या हुई थी लंच की छुट्टी लेकर गया था।
✓जब वह वापस आया तो उसके चेहरे पर खरोच के निशान थे और दलदल में जूते सने हुए थे। जब उसके दोस्तो ने उससे पूछा तो उसने कहा कि वह बेर तोड़ने गया था जिससे उसकी यह हालत हुई है।
✓घटना से कुछ देर पहले एक व्यक्ति ने उसे उस लड़की के साथ देखा था जब उसे पूछा कि पागल लडकी के साथ क्यों घूम रहे हो तब वह बिना उत्तर दिए चला गया।
✓इन तथ्यों को देखते हुए उसे मृत्युदण्ड दिया गया।