मेयर ऑफ ब्रेडफोर्ड कॉरपोरेशन बनाम पिकिल्स? विल्किसन बनाम डाउन्टन ?

मेयर ऑफ ब्रेडफोर्ड कॉरपोरेशन बनाम पिकिल्स‘ (1895)ए.सी. 587] का एक महत्त्वपूर्ण मामला है। इस मामले में प्रतिवादी किसी बात को लेकर वादी से नाराज था। प्रतिवादी ने अपनी भूमि में नलकूप बनाया ताकि वादी के कुए का पानी सूख जाये। इस पर वादी ने प्रतिवादी के विरुद्ध नुकसानी का वाद संस्थित किया जो न्यायालय द्वारा यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि इससे वादी के किसी विधिक अधिकार का अतिक्रमण नहीं हुआ है। प्रतिवादी को अपनी भूमि में नलकूप बनाने का अधिकार है चाहे उसका दुराशय ही क्यों न हो। लार्ड एशबर्न ने यह कहा कि- “हेतु का महत्त्व केवल अपराध के गठन में है, अपकृत्य में नहीं। यदि कोई व्यक्ति अच्छे हेतु से ही किसी अन्य व्यक्ति के विधिक अधिकारों का अतिलंघन करता है तो अपकृत्य विधि के अन्तर्गत उसके लिए नुकसानी का वाद लाया जा सकेगा। इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति बुरे हेतु से ऐसा कोई कार्य करता है जिससे किसीं के विधिक अधिकारों का अतिलंघन नहीं होता है तो उसके विरुद्ध नुकसानी का वाद नहीं लाया जा सकेगा।

“ऐसा ही एक और मामला ‘विल्किसन बनाम डाउन्टन’ (1897 क्यू.बी. 57) का है। इसमें प्रतिवादी ने वादिया से मजाक करने की दृष्टि से उसे यह मिथ्या सूचना दी कि उसका पति दुर्घटनाग्रस्त हो गया है और वह अस्पताल में है। इस सूचना से वादिया को गहरी मानसिक वेदना हुई जिसके परिणामस्वरूप वह बीमार पड़ गई और उसके बाल सफेद हो गये। वादिया ने प्रतिवादी के विरुद्ध नुकसानी का वाद संस्थित किया। प्रतिवादी की ओर से बचाव में यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि उसने तो केवल मजाक किया था, उसका आशय वादिया को क्षति पहुँचाने का नहीं था। न्यायालय ने प्रतिवादी के तर्क को नहीं माना और कहा कि प्रतिवादी अपने मजाक के स्वाभाविक परिणाम को जानता था और उसी के कारण वादिया को क्षति कारित हुई है इसलिये वह नुकसानी के लिए उत्तरदायी है। न्यायालय ने यह भी अभिनिर्धारित किया कि अपकृत्य के मामलों में आशय अथवा हेतु का कोई महत्त्व नहीं है।

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