हेतु, तैयारी और आचरण (Motive, Preparation and Conduct)

BSA-SECTION:- (6)

हेतु, तैयारी और आचरण (Motive, Preparation and Conduct):-

धारा 6 के अनुसार कोई भी तथ्य सुरांगत है जो किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य का हेतु या तैयारी दर्शित करता है।

किसी वाद या मामले के किसी पक्षकार के अभिकर्ता का विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य के बारे मे और किसी ऐसे व्यक्ति का आचरण जिसके खिलाफ कोई अपराध किसी कार्यवाही का विषय है सुसंगत है। चाहे वह उससे पहले का हो या बाद का।

यह धारा बताती है कि
✓क्यों किया (motive)
✓कैसे तैयारी की (preparation)
✓पहले और बाद में कैसा व्यवहार रहा (conduct)
— ये सब मुख्य तथ्य को समझने में मदद करते हैं, इसलिए प्रासंगिक हैं।

स्पष्टीकरण 1- इस धारा में आचरण शब्द में कथन नहीं आते जब तक कि ये कथन उन कथनों से अलग कार्यों के साथ-साथ और उन्हें स्पष्ट करने वाले ना हों। लेकिन इस अधिनियम की किसी अन्य धारा में उन कथनों की सुसंगति पर इस स्पष्टीकरण का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

सरल भाषा में स्पष्टीकरण 1 (Explanation ) “आचरण” में केवल बयान (statements) शामिल नहीं हैं, लेकिन अगर बयान किसी कर्म (act) के साथ हों और उसे समझाएं, तो वे आचरण में शामिल होंगे।

स्पष्टीकरण 2- जब किसी व्यक्ति का आचरण सुसंगत है तब उससे या उसकी उपस्थिति में किया गया कोई भी कथन सुसंगत है जो उस आचरण पर प्रभाव डालता है।

सरल भाषा में स्पष्टीकरण 2 (Explanation ) :-अगर किसी व्यक्ति का आचरण प्रासंगिक है, तो उसके सामने या उसकी सुनवाई में किया गया कोई भी बयान जो उसके आचरण को प्रभावित करता हो, वह भी प्रासंगिक होगा।

आमतौर पर यह धारा तीन तरह के तथ्यों को सुसंगत बनाने के बारे में नियम बताती है-

i) हेतु (Motive)

ii) तैयारी (Preparation)

iii) आचरण (Conduct)

हेतु (Motive)- हेतु ऐसी शक्ति को कहते हैं जो किसी कार्य को करने के लिए किसी व्यक्ति को मजबूर करती है यह उसके इरादे को प्रभावित कर देती हैं। कि वह मजबूर सा हो जाता है। हेतु अपने आप में कोई अपराध नहीं है चाहे कितना भी दोषपूर्ण क्यों ना हो। इस धारा के पहले नियम के अनुसार जिन तथ्यों से किसी कार्य को करने का हेतु पता चलता हो वे सुसंगत है।

उदाहरण– B की हत्या के लिए A का विचारण किया जाता है। ये तथ्य सुसंगत है कि A ने की भी हत्या की थी जिसके बारे में B जानता था और B ने अपनी इस जानकारी को सार्वजनिक करने की धमकी देकर A से पैसे लेने की कोशिश की थी।

उदाहरण – A एक बन्धपत्र के आधार पर पैसे के लिए B पर मुकदमा लाता है। B इस बात से इन्कार करता है कि उसने बन्धपत्र लिखा। यह तथ्य सुसंगत है कि उस समय जब बन्धपत्र लिखा जाना गया था B को किसी खास उद्देश्य के लिए पैसे की जरूरत थी।

केस- केहर सिंह बनाम दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन (1988)- इस मामले में न्यायालय ने कहा कि हेतु ना तो अपने आप में कोई अपराध है और ना अपराधी को घटना से जोड़ने के लिए काफी है लेकिन अपराध के हो जाने के बाद हेतु का साक्ष्य बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है और इसीलिए हेतु के साक्ष्य को सुसंगत बनाया गया है। हेतु का साक्ष्य से महत्वपूर्ण संबंध है क्योंकि कोई भी व्यक्ति बिना हेतु के कोई कार्य नहीं करता है इसीलिए यह उपधारणा की जा सकती है कि कार्य किसी व्यक्ति ऐसे व्यक्ति ने किया होगा जिसके पास ऐसा करने का कोई हेतु रहा हो।

केस- बिकाऊ पांडे बनाम बिहार राज्य (2004)- इस मामले में न्यायालय ने कहा कि जब किसी अपराध को प्रत्यक्ष साक्ष्य द्वारा साबित किया जा रहा हो तब हेतु का साक्ष्य महत्व नहीं रखता है।

केस- आर बनाम पामर (1856)- इस मामले में अभियुक्त पामर पैसो की तकलीफ में था उसने अपने मित्र से काफी पैसा उधार लिया, वे लोग घुड़दौड़ के लिए जाया करते थे। एक रात घुड़दौड़ से लौटकर होटल में आए। आधी रात को उसका दोस्त मरा पाया गया। पामर पर जहर देकर हत्या करने का आरोप लगाया गया क्योंकि पामर का हेतु अपने दोस्त को मिटाकर कर्ज मिटाना था। मुख्य न्यायधीश लॉर्ड कैम्पबेल ने हेतु के साक्ष्य का महत्व बताया और कहा कि बहुत से अपराध छोटे-छोटे हेतु के लिए भी कर दिए जाते है।

तैयारी (Preparation) – इस धारा के दूसरे नियम में बताया गया है कि कार्य को करने के लिए जो तैयारी करनी पड़ती है इसका साक्ष्य सुसंगत होता है और यह धारा कहती है कि विवाधक या सुसंगत तथ्य के घटने से पहले उसके लिए जो तैयारी में कार्य किए होते हैं वे सुसंगत होते हैं। किसी अपराध को करने की तैयारी करना भले ही अपने आप में अपराध ना हो, लेकिन अपराध होने के बाद तैयारी सुसंगत मानी जाती है। जैसे- हत्या से पहले चाकू खरीदकर लाना या चाकू की धार तेज करना।

उदाहरण– विष द्वारा B की हत्या करने के लिए का विचारण किया जाता है। यह तथ्य सुसंगत है कि की मृत्यु से पहले A ने B को दिए गए विष के जैसा विष खरीदा था।

उदाहरण– प्रश्न यह है कि क्या अमुक दस्तावेज A की वसीयत है। ये तथ्य कि क्या उस वसीयत की तारीख से थोड़े दिन पहले A ने उन विषयों की जांच की थी जिनसे उस वसीयत का संबंध है कि उसने वह वसीयत करने के बारे में वकीलों से सलाह ली और उसने अन्य वसीयतों के प्रारूप बनवाए जिन्हें उसने अनुमोदित नहीं किया सुसंगत है।

इस उदाहरण में उन तथ्यों का साक्ष्य सुसंगत माना जाएगा जो वसीयत बनाने की तैयारी में किए जाते हैं वसीयत के बारे में आमतौर पर यह प्रश्न उठता है कि वसीयत पर हस्ताक्षर असली है या नकली। उदाहरण यह कहता है कि यह तथ्य कि बहुत दिन पहले से वह व्यक्ति वसीयत के बारे में पूछताछ करता रहा जो और उसने कई अन्य वसीयते भी तैयार करवाई थी जो उसे पसंद नहीं आई थी। ये सब वसीयत का साक्ष्य देने के लिए सुसंगत है।

केस- आर बनाम पामर (1856)- इस मामले में लॉर्ड केम्पबेल ने कहा कि अभियुक्त द्वारा घटना से पहले वैसा ही जहर खरीदना जिससे हत्या हुई है यह उसकी तैयारी दिखाता है।

आचरण (Conduct) – इस धारा का तीसरा नियम आचरण के साक्ष्य के बारे में इसके अनुसार किसी व्यक्ति का आचरण साक्ष्य विधि के लिए बहुत महत्व रखता है। किसी व्यक्ति का घटना से पहले या बाद का आचरण बहुत महत्व रखता है क्योंकि दोषी मन आमतौर पर उसके आचरण से विश्वसनीय होता है। दोषी मन दोषी आचरण पैदा करता है। इस मामले में जो फौजदारी से संबंधित है केवल अभियुक्त का आचरण ही शामिल होगा अभिकर्त्ता का नही। लेकिन सिविल मामलों में अभिकर्ता का आचरण भी सुसंगत हो सकता है।

उदाहरण– प्रश्न यह है कि क्या A, B के दस हजार रुपए का देनदार है। यह तथ्य कि A ने C से पैसा उधार मांगा और ने C से A की उपस्थिति में कहा कि मैं तुम्हें सलाह देता हूं कि तुम A पर भरोसा मत करो क्योंकि वह B के दस हजार रुपए का देनदार है और A कोई उत्तर दिए बिना चला गया यह सुसंगत है।

उदाहरण– प्रश्न यह है कि क्या A ने अपराध किया। यह तथ्य सुसंगत है कि A एक पत्र पाने के बाद जिसमें A को चेतावनी दी गई थी कि अपराधी के लिए जांच की जा रही है, फरार हो गया।

उदाहरण – A किसी अपराध का अभियुक्त है। ये तथ्य सुसंगत हैं कि अपराध करने के बाद A फरार हो गया या उस अपराध से प्राप्त संपत्ति जो उसके कब्जे में थी उसे उसने छिपाने की कोशिश की।

केस- क्वीन एम्प्रेस बनाम अब्दुल्ला (1885)- इस मामले में अभियुक्त ने दुलारी नाम की वेश्या का जो सुबह के समय जब वह घर में सो रही थी उसका उस्तरे से गला काट दिया उसने रोकने की कोशिश की तो उसका हाथ भी कट गया वह बोल नहीं पा रही
थी लेकिन होश में थी। तब मजिस्ट्रेट ने उसका हाथ खड़ा करके उसके सामने कुछ नाम लिए उसने अब्दुल्ला के नाम पर हाँ में इशारा किया और बाद में वह मर गई।

तथ्यों के आधार पर सेशन न्यायाधीश ने अब्दुल्ला को दोषी ठहराया और उसे मृत्युदंड दिया। अब्दुल्ला ने अपील कि इस प्रश्न पर विचार करने के लिए अपील की कि क्या हाथों के चिन्ह जो प्रश्नों के उत्तर में दिए गए थे वे इस आधार पर सुसंगत है कि वह पीड़ित व्यक्ति के आचरण को दर्शाते हैं या मृत्युकालीन कथन के रूप में सुसंगत थे। न्यायाधीश महमूद ने इसे लड़की का आचरण बताया। लेकिन मुख्य न्यायमूर्ति पैधरम ने बहुमत के निर्णय में कहा कि लडकी का यह आचरण ना होकर सीधा-सीधा कथन है। यहाँ लड़की को संबोधित करते हुए पूछा गया था जिसके जवाब में उसने हाथ हिलाकर जबाब दिया।

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