जुलाई 2024

मुस्लिम विधि के स्रोत क्या है? प्रधान व गौण स्त्रोत बताये

मुस्लिम विधि के स्रोत(Sources Of Muslim Law) :-मुस्लिम विधि के स्रोतों को दो भागों में बांटा जा सकता है- 1) प्रधान स्त्रोत (Primary Sources) 2) गौण स्त्रोत (द्वितीयक स्त्रोत) प्रधान स्त्रोत– 1) कुरान – कुरान मुस्लिम विधि का सर्वोच्च प्रमाण है। उसमें अल्लाह के द्वारा अपने पैगंबर को दिया गया दैवी संदेश है। कुरान में …

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पिता की संपत्ति में पुत्री का अधिकार? हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 की धारा 6 के अनुसार– हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के प्रारंभ से मिताक्षरा विधि द्वारा शासित संयुक्त हिंदू परिवार में पुत्री – क) जन्म से अपने अधिकार में उसी तरह सहदायिकी होगी, जैसे-पुत्र ख) उसे सम्पत्ति में वही अधिकार होगा जो पुत्र को प्राप्त हो। ग) वह वैसे ही दायित्वों …

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Maintenance of wife ? Hindu adoption and maintenance act-1956

भरण पोषण की परिभाषा :- भरण पोषण में जीवन की आवश्यकताये जैसे- खाना, कपड़ा और निवास आते हैं। हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण पोषण अधिनियम 1956 की धारा 3 (ख) के अनुसार भरण पोषण में- 1) भोजन, वस्त्र, निवास, शिक्षा और चिकित्सा संबंधी सहायता या इलाज आता है। 2) विवाहित पुत्री की दशा में उसके …

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हिंदू स्त्री धन क्या है? स्त्री धन और स्त्री संपदा में अन्तर

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के पारित होने से पहले प्राचीन हिंदू विधि में हिंदू स्त्री द्वारा अर्जित संपत्ति दो प्रकार की होती थी- 1) स्त्री धन– जिसकी वह पूर्ण स्वामिनी होती थी। 2) नारी संपदा- जिसमें उसको सीमित अधिकार था। नारी संपदा– वह संपत्ति जो कोई नारी किसी पुरुष या नारी से उत्तराधिकार या विभाजन …

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महिला और शिशु के विरुद्ध अपराधों के विषय में? लैंगिक अपराधों के विषय में? भारतीय न्याय संहिता-2023

धारा 63 बलात्संग Rape. धारा 64 बलात्संग के लिए दंड punishment for rape. धारा 65 कतिपय मामलों में बलात्संग के लिए दण्ड punishment for rape in certain case. धारा 66 पीड़िता की मृत्यु या सतत् विकृतशील दशा कारित करने के लिए दण्ड punishment for causing death or resulting in persistent vegetative state of victim. धारा …

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फैक्टम वैलेट का सिद्धांत (Doctrine of Factum Valet)

फैक्टम वैलेट का सिद्धांत (Doctrine of Factum Valet):– फेक्टम वैलेट एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है- कार्य वैध है। यह एक कानूनी सिद्धांत है जो किसी अधिनियम की वैधता और बाध्यकारी प्रकृति को पहचानता है इसके निष्पादन की प्रक्रिया में किसी भी दोष या अनियमितता के बावजूद। फैक्टम वैलेट अक्सर उन मामलों में लागू …

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शून्य विवाह एवं शून्यकरणीय विवाह किसे कहते हैं?

शून्य विवाह एवं शून्यकरणीय विवाह (Void and Voidable Marriage) :- शून्य विवाह का अर्थ– एक ऐसा विवाह है जो कानूनों के तहत गैर कानूनी या अमान्य है और जो शुरुआत से ही अमान्य होता है। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 11 के अनुसार शून्य विवाह कोई विवाह नहीं है। ऐसे विवाह को विवाह केवल …

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Judicial Separation in Hindu Law?

न्यायिक पृथक्करण (Judicial Separation):- हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 10 के अनुसार विवाह के पक्षकारों में से कोई पक्षकार चाहे विवाह इस अधिनियम से पहले हुआ हो या उसके पश्चात जिला न्यायालय को धारा 13 की उपधारा (1) में और यदि पत्नी है तो उपधारा (2) में दिए गए आधारों में से किसी भी …

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दांपत्य अधिकारों का पुनर्स्थापना?

जब विवाह का एक पक्षकार दूसरे पक्षकार के साथ रहने से इनकार करता है तो वह पक्षकार दूसरे पक्षकार को साथ रहने के लिए बाध्य कर सकता है। पीड़ित पक्षकार न्यायालय में दांपत्य अधिकारों के प्रत्यास्थापन का वाद दायर कर सकता है। प्रत्यास्थापन की डिक्री का मतलब है न्यायालय दोषी पक्षकार को निर्दोष पक्षकार के …

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हिंदू विवाह केलिए आवश्यक शर्तें? हिन्दू विवाह संविदा है या धार्मिक सस्कार

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5 में जो शर्ते दी गई है उन शर्तों का उल्लंघन होने पर किसी विवाह को शून्य और शून्यकरणीय घोषित किया जाता है। एक वैध हिंदू विवाह के लिए इन शर्तों का होना आवश्यक है- 1) एक समय में एक ही विवाह (द्विविवाह)- हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा …

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