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AIBE Previous Year Question Papers PDF | All India Bar Exam (With Answers)

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क्या एक नाबालिक भागीदार हो सकता है भागीदारी अधिनियम 1932 Minor As Partner

क्या एक नाबालिग भागीदार हो सकता है:-भागीदारी अधिनियम की धारा 5 के अनुसार भागीदारी का जन्म संविदा से होता है ना की स्थिति (status) से। इसीलिए भागीदारी के निर्माण के लिए संविदा का होना जरूरी है लेकिन संविदा अधिनियम की धारा 11 के अनुसार एक नाबालिग के द्वारा किया गया करार शून्य होता है। इसी

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भागीदारों के पारस्परिक संबंध (Mutual Relations of Partners)

भागीदारों के पारस्परिक संबंध:-भागीदारी अधिनियम 1932 की धारा 9-17 तक भागीदारों के एक दूसरे के प्रति संबंधों और अधिकारों और कर्तव्यों का वर्णन किया गया है। 1) भागीदारों के साधारण कर्तव्य भागीदारी अधिनियम की धारा 9 के अनुसार कोई भी भागीदार– क) फर्म के सबसे ज्यादा फायदे के लिए फर्म के कारोबार को चलाऐंगे। ख)

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भागीदारो के द्वारा लाभ में अंश प्राप्त करना और भागीदारी को चलाना
(Share in a profit of business)

भागीदारो के द्वारा लाभ में अंश प्राप्त करना और भागीदारी को चलाना(Share in a profit of business) केस- कॉक्स बनाम हिकमैन (1860)- इस मामले के निर्णय से पहले केवल लाभ प्राप्त करने से ही भागीदारी स्थापित मान ली जाती थी लेकिन इस मामले में हाउस आफ लॉर्ड ने यह सिद्धांत दिया कि भागीदारी के लिए

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(Share in a profit of business)
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भागीदारी के अस्तित्व को निर्धारित करने के तरीके- (Modes of Partnership)

भागीदारी के अस्तित्व को निर्धारित करने के तरीके- भागीदारी के संबंध का अस्तित्व है या नहीं इसका निर्धारण पक्षकारों के बीच उनकी संविदा पर निर्भर होना जरूरी है। केवल भागीदारी शब्द का प्रयोग करने से भागीदारी नही मानी जायेगी। कोई भागीदारी है या नही यह विधि और तथ्य का मिश्रित प्रश्न है। यह तय करने

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भागीदारी और इसके आवश्यक तत्व ? भागीदारी व कंपनी भागीदारी व सह-स्वामी में अन्तर

भागीदारी और इसके आवश्यक तत्व (Partnership and its Essentials) :- भागीदारी की परिभाषा– भागीदारी अधिनियम 1932 की धारा 4 के अनुसार भागीदारी व्यक्तियों के बीच का संबंध है जिन्होंने किसी ऐसे व्यापार के लाभों को बांटने का करार कर लिया है जिसे वे सब चलाते हैं या सबकी ओर से उनमें से कोई एक चलाता

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हेतु, तैयारी और आचरण (Motive, Preparation and Conduct)

हेतु, तैयारी और आचरण (Motive, Preparation and Conduct):- धारा 6 के अनुसार कोई भी तथ्य सुरांगत है जो किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य का हेतु या तैयारी दर्शित करता है। किसी वाद या मामले के किसी पक्षकार के अभिकर्ता का विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य के बारे मे और किसी ऐसे व्यक्ति का आचरण

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अवसर, हेतुक और परिणाम (Occasion, Cause and Effect)

अवसर, हेतुक और परिणाम (Occasion, Cause and Effect) :- धारा 5 के अनुसार वे तथ्य सुसंगत हैं जो सुसंगत तथ्यों या विवाद्यक तथ्यों के प्रसंग, हेतुक या परिणाम हैं या जो उस स्थिति को गठित करते हैं जिसमें वे घटित हुए या जिसने उनके घटित होने का अवसर दिया।सरल अर्थ :-वे तथ्य सुसंगत (relevant) माने

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Doctrine Of Res-geste ?

रेस जेस्टे का सिद्धांत (Doctrine of Res-geste) अन्यत्र उपस्थिति का सिध्दांत। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 4 इस सम्बंध में प्रावधान करती है। जिसे एक ही संव्यवहार के भाग होने वाले तथ्यों की सुसंगति कहा गया है। धारा 4 के अनुसार जो तथ्य विवाद्यक ना होते हुए भी किसी विवाद्यक तथ्य या सुसंगत तथ्य से

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भारतीय साक्ष्य अधिनियम में तथ्यों की सुसंगता?

तथ्यों की सुसंगति (Relevancy of fact), भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 3 के अनुसार किसी भी वाद या मामले या कार्यवाही में विवाद्यक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों का ही साक्ष्य दिया जा सकता है। स्पष्टीकरण – यह धारा किसी व्यक्ति को ऐसे तथ्य का साक्ष्य देने के लिए योग्य नहीं बनाएगी जिससे सिविल प्रक्रिया से

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