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भारतीय न्याय संहिता में तैयारी और प्रयत्न के प्रमुख सिध्दांत ? तैयारी व प्रयत्न में अन्तर

तैयारी और प्रयत्न के बीच अंतर के स्पष्ट करने के लिए अनेक सिद्धांत प्रतिपादित किये गए हैं जो निम्न है- 1) सन्निकटता का सिद्धांत (Proximity Theory)- इस सिद्धांत के अनुसार अगर अपराधी लगभग सभी महत्वपूर्ण कार्यवाहियां पूरी कर चुका है लेकिन जिस परिणाम की आकांक्षा थी और जो अपराध का जरूरी तत्व है वह परिणाम […]

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Difference in the Application of Evidence Between Criminal Law and Civil Law ?

Answer:Under the Bharatiya Sakshya Adhiniyam, the general rules of evidence apply to both criminal and civil proceedings. However, certain specific provisions apply exclusively to civil proceedings, and some apply exclusively to criminal proceedings. Criminal jurisprudence lays down certain principles that create significant differences in the application of the law of evidence between civil and criminal

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भारतीय साक्ष्य अधिनियम का संक्षिप्त नाम, लागू होना और प्रारम्भ?

भाग-1, अध्याय-1, प्रारंभिक (Preliminary) धारा 1- संक्षिप्त नाम लागू होना और प्रारंभ संक्षिप्त नाम- भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 है।सरल भाषा में:इस कानून का नाम भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 है।यह पूरे भारत में लागू होगा (जैसा सरकार तय करे) और सरकार द्वारा तय की गई तारीख से लागू होगा। उदाहरण:मान लीजिए सरकार 1 जनवरी 2024 को

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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 का परिचय, परिभाषा, प्रकार व साक्ष्य के स्वर्णिम नियम?

भारतीय साक्ष्य अधिनियम का परिचय :- ✓भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 दिनांक 11 अगस्त, 2023 को लोकसभा के पटल पर रखा गया। और उसी दिन स्थाई समिति को भेज दिया । ✓समिति ने अपनी रिपोर्ट 10 नवम्बर, 2023 को प्रस्तुत की। ✓दिनांक 25 दिसम्बर, 2023 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई ✓दिनांक 1 जुलाई, 2024 से

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Criminal Conspiracy Under Bharatiya Nyaya Sanhita (Section 61)

आपराधिक षडयंत्र (Criminal conspiracy) भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 आपराधिक षड्यंत्र से संबंधित है जो इसकी परिभाषा और दंड के बारे में प्रावधान करती है। आपराधिक षडयंत्र की परिभाषा (Definition of Criminal conspiracy)- धारा 61 के अनुसार जब दो या ज्यादा व्यक्ति- 1) कोई अवैध कार्य या 2) कोई ऐसा कार्य जो अवैध नहीं

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Abetment under Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 – Section 45-60 Explained?

दुष्प्रेरण (Abetment) भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 45-60 तक दुष्प्रेरण के बारे में प्रावधान किया गया है। धारा 45– किसी बात का दुष्प्रेरण– वह व्यक्ति दुष्प्रेरण करता है जो- पहला– किसी बात को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है। दूसरा– किसी बात को करने के लिए किसी षड्यंत्र में एक या ज्यादा

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Private defence under Bharatiya Nyaya Sanhita Section (34-44)

प्राइवेट प्रतिरक्षा (Private Defence) प्राइवेट प्रतिरक्षा से संबंधित प्रावधान भारतीय न्याय संहिता की धारा 34-44 तक दिए गए हैं। धारा 34 के अनुसार के अनुसार कोई बात अपराध नहीं है, जो प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में की जाती है। केस- राजेश कुमार बनाम धर्मवीर (1997)- इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि

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Mistake of Fact Excusable but Mistake of Law is Non-excusable

तथ्य की भूल क्षम्य है लेकिन विधि की भूल क्षम्य नही(Mistake of fact excusable but mistake of law is non-excusable) धारा 14 के अनुसार कोई बात अपराध नही है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो या तथ्य के भूल के कारण ना कि विधि भूल

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भारतीय न्याय संहिता में साधारण अपवाद धारा (14-44)

भारतीय न्याय संहिता का अध्याय 3 अनेक प्रतिरक्षाओं से संबंधित है, जिनके आधार पर कोई अभियुक्त संहिता में बचाव ले सकता है। यह अध्याय धारा 14-44 तक दिया गया है जो अन्य धाराओं में दिए गए अपराध की परिभाषाओं को नियंत्रित करता है। इस अध्याय में दो तरह की प्रतिरक्षाएं (Defences) दी गई हैं- 1)

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भारतीय न्याय संहिता में मृत्युदंड, मृत्युदंड की प्रक्रिया, पक्ष-विपक्ष के तर्क, क्षमा याचना, भारत के संदर्भ में?

मृत्युदण्ड (Capital Punishment) भारतीय न्याय संहिता की धारा 4 के अनुसार छह प्रकार के दण्ड दिए गए है- मृत्युदंड।आजीवन कारावास।कारावास- सादा या कठोर ।संपत्ति की जब्ती।जुर्माना।सामुदायिक सेवा। मृत्युदंड को अंग्रेजी में कैपिटल पनिशमेंट (Capital Punishment) कहते हैं। मृत्युदंड विश्व में अपराधी को दी जाने वाली सबसे बड़ी सजा होती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72

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