Divorce by Mutual Consent in Hindu marriage act ?पारस्परिक सम्मति के आधार पर विवाह-विच्छेद

हिंदू मैरिज एक्ट में पारस्परिक सम्मति के आधार पर विवाह-विच्छेद

:-हिन्दू विवाह (संशोधन) अधिनियम, 1976 द्वारा हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 में एक नई धारा 13 ख जोड़कर पारस्परिक सम्पति (mutual consent) के आधार पर विवाह विच्छेद की व्यवस्था की गई है। इसके अनुसार विवाह में के दोनों पक्षकारों द्वारा पारस्परिक सम्मति के आधार पर विवाह विच्छेद के लिए संयुक्त रूप

से निम्नांकित दशाओं में याचिका प्रस्तुत की जा सकती है:-

(i) जब पति-पत्नी एक वर्ष या उससे अधिक की कालावधि से अलग अलग रह रहे हों;

(ii) वे साथ-साथ रहने में असमर्थ हों; तथा

(iii) उन्होंने पारस्परिक सम्मति द्वारा विवाह विच्छेद करना स्वीकार कर लिया हो।

(1) इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए यह है कि विवाह के दोनों पक्षकार मिलकर विवाह- विच्छेद की डिक्री द्वारा विवाह के विघटन के लिए अर्जी, चाहे ऐसा विवाह, विवाह विधी संशोधन अधिनियम 1976 के प्रारम्भ के पूर्व या उसके पश्चात् अनुष्ठापित किया गया हो, जिला न्यायालय में, इस आधार पर पेश कर सकेंगे कि वे एक वर्ष या उससे अधिक समय से अलग-अलग रह रहे हैं और वे एक साथ नहीं रह सके हैं, तथा वे इस बात के लिए परस्पर सहमत हो गए हैं कि विवाह का विघटन कर दिया जाना चाहिए।

(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट अर्जी के पेश किए जाने — की तारीख से छह मास के पश्चात् और उस तारीख से अठारह मास के पूर्व दोनों पक्षकारों द्वारा किए गए प्रस्ताव पर, यदि इस बीच अर्जी वापस नहीं ले ली गई है तो, न्यायालय पक्षकारों को सुनने के पश्चात् और ऐसी जांच करने के पश्चात जो वह ठीक समझे अपना यह समाधान कर लेने पर की विवाह अनुष्ठापित हुआ है और अर्जी में किए प्रकटन सही है यह घोषणा करते हुए विवाह विच्छेद की डिग्री पारित करेगा की विवाह डिग्री की तारीख से विघटित हो जाएगा।

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