Mistake of Fact Excusable but Mistake of Law is Non-excusable

तथ्य की भूल क्षम्य है लेकिन विधि की भूल क्षम्य नही(Mistake of fact excusable but mistake of law is non-excusable) धारा 14 के अनुसार कोई बात अपराध नही है जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाए जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध हो या तथ्य के भूल के कारण ना कि विधि भूल […]

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भारतीय न्याय संहिता में साधारण अपवाद धारा (14-44)

भारतीय न्याय संहिता का अध्याय 3 अनेक प्रतिरक्षाओं से संबंधित है, जिनके आधार पर कोई अभियुक्त संहिता में बचाव ले सकता है। यह अध्याय धारा 14-44 तक दिया गया है जो अन्य धाराओं में दिए गए अपराध की परिभाषाओं को नियंत्रित करता है। इस अध्याय में दो तरह की प्रतिरक्षाएं (Defences) दी गई हैं- 1)

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भारतीय न्याय संहिता में मृत्युदंड, मृत्युदंड की प्रक्रिया, पक्ष-विपक्ष के तर्क, क्षमा याचना, भारत के संदर्भ में?

मृत्युदण्ड (Capital Punishment) भारतीय न्याय संहिता की धारा 4 के अनुसार छह प्रकार के दण्ड दिए गए है- मृत्युदंड।आजीवन कारावास।कारावास- सादा या कठोर ।संपत्ति की जब्ती।जुर्माना।सामुदायिक सेवा। मृत्युदंड को अंग्रेजी में कैपिटल पनिशमेंट (Capital Punishment) कहते हैं। मृत्युदंड विश्व में अपराधी को दी जाने वाली सबसे बड़ी सजा होती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72

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दण्डों के विषय में भारतीय न्याय संहिता की अध्याय-2 ,धारा-(4-13)

दण्डों के विषय में (Of punishments):- धारा 4- दण्ड- अपराधी इस संहिता में इन दण्डों से दण्डित किया जा सकता है-पहला- मृत्यु,दूसरा- आजीवन कारावासतीसरा- कारावास, जो दो प्रकार का है,कठिन- कठोर श्रम के साथसादाचौथा- सम्पत्ति की जब्तीपांचवां – जुर्मानाछठा- सामुदायिक सेवा। धारा 5- दण्डादेश का लघुकरण– समुचित सरकार अपराधी की सहमति के बिना किसी दण्ड

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Theories of Punishment under Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023

Theories of Punishment:- In criminal law, the following theories are prevalent to clarify the purpose of punishment: 1) Retributive Theory2) Expiatory Theory3) Deterrent Theory4) Preventive Theory5) Reformative Theory Retributive Theory:- This theory is based on the principle of revenge. It originated from the ancient notion of retaliation against the offender. Punishment under this theory satisfies

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Section 3(5) BNS Explained: Common Intention और Joint Liability

सामान्य आशय (Common intention) धारा 3 की उपधारा (5) के अनुसार जब कोई आपराधिक कार्य कई व्यक्तियों द्वारा अपने सबके सामान्य आशय को अग्रसर करने में किया जाता है, तब ऐसे व्यक्तियों में से हर व्यक्ति उस कार्य के लिए इस तरह दायित्व के अधीन है मानो वह कार्य अकेले उसी ने किया हो। धारा

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भारतीय न्याय संहिता में साधारण स्पष्टीकरण

साधारण स्पष्टीकरण (General Explanations) भारतीय न्याय संहिता की धारा 3 की उपधाराओं में साधारण स्पष्टीकरण के संबंध में प्रावधान किये गए है- उपधारा (1) इस संहिता में अपराध की हर परिभाषा, हर दाण्डिक उपबन्ध और हर दृष्टान्त, “साधारण अपवाद” के अध्याय में दिए गए अपवादों के अधीन समझा जाएगा, चाहे उन अपवादों को ऐसी परिभाषा,

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भारतीय न्याय संहिता, 2023 की क्षेत्राधिकार सीमाएं

प्रारंभिक (Preliminary) धारा 1- संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ और लागू होना- धारा-1(1) अधिनियम का संक्षिप्त नाम भारतीय न्याय संहिता, 2023 धारा-1(2) प्रारंभ– उस तारीख को जो केन्द्र सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा तय करे। धारा-1(3) हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए, जिसका वह भारत के अंदर दोषी होगा,

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अपराध के महत्वपूर्ण तत्व, दुराशय संबंधित मामले व अपवाद?

अपराध के चार महत्वपूर्ण तत्व है- 1) मानव (Human) 2) दुराशय (Mensrea) 3) कार्य या लोप (Act or Omission) 4) उसे कार्य से किसी अन्य को क्षति (Damage) दुराशय भी अपराध का एक तत्व है, क्योंकि अपराध के लिए आशय (Intention) और कार्य (Act) दोनों का होना ज़रूरी है। कार्य अपने आप मे दण्डनीय नहीं

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अपराध के चरण?

अपराध के चरण (Stages of Crime) कोई भी अपराध इन चरणों से गुजरता है भले ही वह कुछ क्षण में पूरा हो जाए या उसे पूरा करने में वर्षों लग जाए। अपराध के चरण ये हैं- 1) आशय (Intention) 2) तैयारी (Preparation) 3) प्रयास (Attempt) 4) कार्य का निष्पादन (Execution of work) 1) आशय (Intention)-

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