प्रस्थापनाओं की संसूचना, प्रतिग्रहण और प्रतिसंहरण ?

• अध्याय-1 प्रस्थापनाओं की संसूचना, प्रतिग्रहण और प्रतिसंहरण के विषय में प्रावधानित है इस अध्याय का विस्तार धारा-3 से 9 तक है। • धारा-3 प्रस्थापनाओं की संसूचना, प्रतिग्रहण और प्रतिसंहरण विषयक उपबंध प्रोज्योजित किया जाता है । • प्रस्थापना की परिभाषा भा.सं.अधि. 1872 की धारा-2(क) की दी गयी है। • धारा-2(क) के अनुसार” जबकि एक […]

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क्या वकालत के साथ दूसरा व्यवसाय कर सकते हैं? वकालत की बजाय चाय की दुकान चलाता था, 50 हजार रु. जुर्माना और 3 साल के लिए सदस्यता रद्द

• मामला :- BCR (Bar Council of Rajasthan) की अनुशासनात्मक समिति ने कौंसिल में Enrolled वकील द्वारा वकालत करने की बजाय चाय का व्यवसाय करने वाले को अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 35 का उल्लंघन माना है। वहीं ऐसा करने वाले दोषी वकील दुर्गा शंकर सैनी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए उसकी

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का इतिहास अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर विवाद? AMU Minority Status SC Court

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का इतिहास :- 1817 में दिल्ली के सादात (सैयद) खानदान में सर सैयद अहमद खान का जन्म हुआ। 24 साल की उम्र में सैयद अहमद मैनपुरी में उप-न्यायाधीश बन गए। इस समय ही उन्हें मुस्लिम समुदाय के लिए अलग से शिक्षण संस्थान की जरूरत महसूस हुई। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी शुरू करने से

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रेग्यूलेटिंग एक्ट 1773 की विशेषता और उसके प्रावधान व प्रमुख दोष?

केवल व्यापार के उद्देश्य से भारत में दस्तक देने वाली ईस्ट इण्डिया कंपनी ने शनैः-शनैः भारत में अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। व्यापार के साथ-साथ प्रशासन एवं न्याय व्यवस्था में भी कंपनी का दखल बढ़ता चला गया। ब्रिटिश शासन कंपनी के इस विस्तार से चिन्तित था, अतः उसने कंपनी पर नियन्त्रण स्थापित करने का मानस

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असावधानी (उपेक्षा) की परिभाषा और इसके आवश्यक तत्व

असावधानी अर्थात् उपेक्षा को अनवधानता एवं लापरवाही के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। परिभाषा-असावधानी (उपेक्षा) को कई तरह से परिभाषित किया गया है। विनफील्ड के अनुसार “उपेक्षा एक अपकृत्य के रूप में सावधानी बरतने के विधिक कर्तव्य का उल्लंघन है जिसके परिणामस्वरूप प्रतिवादी के न चाहने पर भी वादी को क्षति कारित होती

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प्रतिनिधिक दायित्व (Vicarious Liability) क्या है? भारत में इसके उदाहरण

सामान्यतया किसी भी कार्य के लिए वही व्यक्ति उत्तरदायी होता है जिसके द्वारा वह कार्य किया जाता है। कोई अन्य व्यक्ति ऐसे कार्य के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन यह कोई अबाध अथवा निरपेक्ष नियम नहीं है। कई बार एक व्यक्ति के कार्य के लिए किसी दूसरे व्यक्ति को भी उत्तरदायी ठहराया जा

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चार्टर एक्ट 1726 के प्रमुख प्रावधान और उनकी विशेषताएं?

सन् 1726 तक ईस्ट इण्डिया कंपनी भारत में अपने पाँव फैला चुकी थी। उसने मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता में न केवल आंग्ल बस्तियाँ स्थापित कर ली थी, अपितु यहाँ की न्याय व्यवस्था में भी हस्तक्षेप प्रारम्भ कर दिया था। उसके द्वारा यहाँ आंग्लय न्याय व्यवस्था को लागू कर दिया गया और विभिन्न प्रकार के न्यायालय

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संविदा अधिनियम का परिचय ? Indian Contract Act 1872

• भारतीय संविदा अधि. 1872 एक मौलिक विधि है यह भूतलक्षी प्रभाव नहीं रखती। • भारतीय संविदा अधिनियम में सामान्य सिद्धांतों को 6 अध्यायों में रखा गया है जिन्हें कुल 75 धाराओं में उपबंधित किया गया है। • भारतीय संविदा अधिनियम का उद्देश्य संविदाओं से सम्बंधित विधि के कतिपय भागों को परिभाषित और संशोधित करना

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क्षतिपूर्ति की संविदा किसे कहते हैं? और इसके आवश्यकता तत्व?

क्षतिपूर्ति की संविदा एक विशिष्ट प्रकार की संविदा है। इसमें पर-व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को कारित क्षति की पूर्ति का दायित्व अपने ऊपर लेता है जबकि सामान्य प्रकृति की संविदाओं में क्षति की पूर्ति का दायित्व स्वयं पक्षकार पर होता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि कतिपय सविदाओं में वचनदाता द्वारा वचन

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Consumer Protection Act उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019

भारत में प्रथम बार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम सन् 1986 में पारित किया गया जो लगभग 34 वर्षों तक प्रभाव में रहा। देश, काल एवं परिस्थितियों में बदलाव आने से जब यह अधिनियम अनुपयोगी लगने लगा तो सन् 2019 में नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पारित किया गया। उपभोक्ता कौन है :- उपभोक्ता :- वह व्यक्ति है

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