
प्रारंभिक (Preliminary)
धारा 1- संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ और लागू होना-
धारा-1(1) अधिनियम का संक्षिप्त नाम भारतीय न्याय संहिता, 2023
धारा-1(2) प्रारंभ– उस तारीख को जो केन्द्र सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा तय करे।
धारा-1(3) हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए, जिसका वह भारत के अंदर दोषी होगा, इसी संहिता में दण्डनीय होगा।
साधारण शब्दों में यह धारा ऐसे अपराध के लिए दंड का प्रावधान करती है जो भारत के अंदर किए जाते हैं चाहे उनसे भारतीय नागरिक करें या कोई विदेशी क्योंकि जब कोई विदेशी भारत की सीमा के अंदर प्रवेश करता है तो वह भारतीय कानून भी स्वीकार करता है और अपने को न्यायालय के क्षेत्राधिकार में मानता है वह यह नहीं कह सकता है कि उसने इस अनुचित काम को बिना अपराध जाने ही कर दिया।
केस- इसोप (1836)- इस मामले में एक व्यक्ति जो बगदाद का निवासी था, सेंट कैथरीन बंदरगाह में खड़े ईस्ट इंडिया पोत पर एक अप्राकृतिक अपराध (Unnatural offence) को करने का दोषी ठहराया गया। यह कार्य उसके अपने देश में अपराध नहीं होता। न्यायालय निर्णय दिया कि वह अपराध करने का दोषी और यह तथ्य कि ऐसा कार्य उसके अपने देश में अपराध नहीं है उसे बचाव नहीं देता। अगर उसका कार्य भारत में अपराध है तो वह दोषी है।
धारा-1(4) भारत से परे किए गए किसी अपराध के लिए जो कोई व्यक्ति भारत में लागू किसी विधि या कानून द्वारा विचारण के लिए जिम्मेदार है, उसे इस संहिता के उपबन्धों के अनुसार ऐसा बरता जाएगा, मानो वह कार्य भारत के अंदर किया गया था।
उदाहरण– एक मामले में एक अंग्रेज A एक भारतीय के द्वारा लिखे हुए पत्र से दूसरे भारतीय B को 10,000 रुपये देने के लिए प्राप्त करता है। ए अपने देश में वापस चला जाता है और भी को धोखा देने के उद्देश्य से पत्र में एक जीरो और बढ़ा देता है। वह इस आशय से जीरो बढाता है कि विश्वास कर लेगा कि पत्र में ऐसा ही लिखा है। A ने जालसाजी का अपराध किया है जिसके लिए उसे भारत में अभियोजित किया जा सकता है। हालांकि वह शारीरिक रूप से भारत में मौजूद नहीं है।
धारा-1(5) इस संहिता के उपबन्ध किये गए अपराध पर भी लागू होंगे जो-
(क) भारत से बाहर और परे किसी स्थान में भारत के किसी नागरिक द्वारा
(ख) भारत में रजिस्ट्रीकृत किसी पोत या वायुयान पर किसी व्यक्ति द्वारा
(ग) भारत में स्थित किसी कंप्यूटर संसाधन को लक्ष्य बनाकर भारत से बाहर किसी स्थान पर किसी व्यक्ति द्वारा किये जायें।
स्पष्टीकरण– इस धारा में “अपराध” शब्द में भारत से बाहर किया गया ऐसा हर कार्य आता है, जो अगर भारत में किया गया होता
उदाहरण – A जो भारत का नागरिक है, भारत से बाहर और परे किसी स्थान पर हत्या करता है, वह भारत के किसी स्थान में, जहाँ वह पाया जाए, हत्या के लिए विचारित और दोषसिद्ध किया जा सकता है।
आमतौर पर जब कोई अपराध भारत से परे किया जाता और अपराधी भारत की सीमा के अंदर पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में इन दो उपायों में से कोई एक अपनाया जा सकता है-
1) उसे उस देश को विचारण के लिए सौंपा जा सकता है जिस देश में उसने अपराध किया है या
2) उसका विचारण भारत में हो सकता है
धारा-1(6) इस संहिता में की कोई बात, भारत सरकार सेवा के अधिकारियों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायुसैनिकों द्वारा विद्रोह और अभित्यजन के लिए दण्डित करने वाले किसी अधिनियम के उपबन्धों, या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबन्धों पर प्रभाव नहीं डालेगी।